Tuesday, December 4, 2007

तुम दाता हो दयालु - भजन

ॐ : तुम दाता हो दयालु - भजन : ॐ

तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।
तुम दाता हो दयालु , सबके ही काम आए ॥

मेरी चपल गति को , गुरुवर विराम दे दो
सब वासना मिटा कर , अपना ही ध्यान दे दो
मेरा मन मेरे ही , वश में नाही आए
तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।

प्रभु प्रीत का ये मीठा , अनुभव हुआ है प्यारा
बेकार जाता जीवन , तुमने प्रभु संवारा
अन्तर का तम मिटाकर , जगमग ज्योत जगाये
तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।

हरि नाम का खजाना , भीतर दिखा रहे हो
जिसे ढूंढते हैं बाहर , ख़ुद में बता रहे हो
बिन सदगुरु के बन्दे , इसको ना साध पाये
तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।

तेरे दरश का प्यासा , मनवा ये रो रहा है
कैसे संभालूँ इसको , सुध अपनी खो रहा है
नैनों से बहते मोती , छुपते नहीं छुपाये
तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।

"शुभ" दोनों हाथ फैले , बापू तुम्हारे आगे
नश्वर की नाही इच्छा , भक्ति प्रभु की मांगे
ऐसी अवस्था ला दो , हम ब्रह्मज्ञान पायें
तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।

मेरी हैसियत ही क्या थी , जो तुम ना साथ होते
जीवन ये जा रहा था , कभी हँसते कभी रोते
समता के पाठ तुमने , अदभुत दिए सिखाये
तुमने ही दया करके , बिगड़े काज बनाये ।

रचित द्वारा : अभिषेक मैत्रेय "शुभ"
९९९०३४८६६४